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शुक्रवार, 2 नवंबर 2018

प्रकृति का न्याय से बडा कोई और न्याय नही ? कोठारी बंधुओ की हत्या तो याद है ना मुलायम सिंह ?


 मुलायम सिंह यादव ने आज अपनी छिपी हुई राजनीतिक तकलीफ पूरे देश को बताई, मुलायम सिंह ने कहा कि अखिलेश ने उनको धोखा दिया। केवल तीन माह के लिए पार्टी का पद मांगकर पूरे दल को ही अपने नियन्त्रण में कर लिया। उन्होने अखिलेश से किसी प्रकार का सम्बन्ध रखने से भी एक समय साफ इंकार कर दिया था। मुलायम ने एहसास करते हुए यह साफ कहा था जो पुत्र अपने पिता का नही हो सका वह किसी का नही हो सकता। परन्तु वे यह सबसे बड भूल कर बैठे ,उन्हे शायद या नही जो इन्सान अपने धर्म का न हो सका वह भला किसी को हो सकता है ? 
                                                याद है ना जब 1989-90 के दौरान जब रामजन्मभूमि आदोंलन अपने चरम पर था,पूरे देश के हिन्दू मन्दिर निर्माण के लिए आन्दोनरत थे। अयोध्या में कारसेवा चल रही थी उस समय मुलायम सिंह ने ही राम भक्तो पर खुलेआम गोलियां चलवाकर सैकडो कारसेवको की हत्या करवाने के साथ  मुलायम ने जिस हिन्दू धर्म में पैदा हुए उसी को कलंकित कर बैठा वह भी क्षणिक स्वार्थ के लिए अपने ही धर्म की निर्मम हत्या करते हुए लोगो की हत्या करवा बैठा। जिनमें से बंगाल के कोठारी  बंधु प्रमुख थे। रामकुमार कोठारी और शरद कुमार कोठारी-यह दोनो सगे भाई थे। 30 अक्टूबर को अयोध्या में हुई कारसेवा में इन दोनो भाइयो ने बढ-चढ कर भाग लिया था। फिर अचानक एक समय ऐसा आया जब  02 नवम्बर को कारसेवा हुई जिसमें कोठारी बंधु भी शामिल थे। पर उस समय के तत्कालीन  मुलायम सिंह की सरकार ने पुलिस को निहत्थे कारसेवको को घर से निकाल कर गोली मार दी। इसी क्रम में हैवान बनी पुलिस ने पहले छोटे भाई शरद कुमार को घसीटते हुए कमरे से बाहर निकाला और उसके सिर पर बन्दूक तान दी,यह देखकार बडा भाई रामकुमार बाहर निकला और पुलिस वालो से बोला -‘‘ मेरे छोटे भाई को छोड दो,मारना ही है तो मुझे मार दो ’’  
                                                दुखद  परन्तु सेकुलरिजम से ग्रसित पुलिसकर्मियो पर इस करूण पुकार का कोई असर नही पडा। उन्होने दोनो भाइयो को गोली मार दी। अपने धर्म और भगवान श्रीराम के लिए बलिदान होने वाले इन दोनो भाइयो की मृत देह जब कोलकाता पहुंची तो उन्हे देखने के लिए पूरा मोहल्ला सहित दूर-दूर से लोग एकत्र हो गये। हर कोई उनके पिता श्री हीरालाल कोठारी और माता श्रीमती सुमित्रादेवी कोठारी को सांत्वना दे रहा था। किन्तु अपने दो पुत्रो को खोने के बावूजूद कोठारी दम्पति में दुःख का भाव लेश मात्र नही दिखा। उनका कहना थ कि उनके दोनो पुत्र प्रभु श्रीराम के काज के लिए शहीद हुए है। और उनको अपने पुत्रो के बलिदान होने में गर्व है। 
                                                                        कोठारी बंधुओ के माता पिता को अपने पुत्रो के बलिदान होने पर भी किसी प्रकार का अफसोस नही था, क्योकि उनके लिए भगवान राम और उनकी जन्मभूमि की मुक्ति ही सब कुछ थी।  दूसरी तरफ  मुलायम को  विधान सभा में मिली करारी हार से कुठिंत होकर अपने पुत्र से सारे सम्बन्ध तोड लेने का एक नाटक मात्र से ही इतना व्याकुल हो गया। और रही बात अखिलेश की तो वह पहले ही सत्ता के लिए अपने पिता को धोखा दे चुका है।  मुलायम सिंह को अब जैसे-जैसे बुढापा नजदीक आती जायेगी वैसे-वैसे अपने कर्मो के फलो का एहसास होता जायेगा। और उन्हे प्रकृति के न्याय का भी स्मरण हो रहा होगा।  मुलायम को यह भी ध्यान रखना चाहिए कि जो अपने राम का न हो सका वह इस जग में किसी का नही हो सकता। उसका भी कोई नही होता,जो राम भक्तो को धोखा देता है अंत में प्रकृति का न्याय ऐसा है कि व्यक्ति को भी एक समय आने पर धोखा खाना ही पडता है। प्रकृति के न्याय से बडा संसार में कोई और न्याय नही ! 

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